सफर की दुआ हर मुसलमान के लिए एक निहायत ही अहम दुआ है जो हमें अल्लाह से हिफाजत और रहनमाई की दरख्वास्त करती है जब हम सफर पर निकलते हैं। यह दुआ हमें मुसीबतों और खतरनाक हालात से महफूज रखती है, और हमारे सफर को आसान और खुशगवार बनाती है। इस दुआ को पढ़ने से हमें सुकून मिलता है और हम अपनी मंजिल तक बेहतर तरीके से पहुँच सकते हैं। सफर की दुआ को याद करना और उसे पढ़ना हर सफर का अहम हिस्सा होना चाहिए। यह दुआ न सिर्फ हमारी हिफाजत के लिए है बल्कि हमारे साथ सफर करने वालों के लिए भी बरकत है।
सफर बा मकसद होना चाहिए सफर का दुआ का मतलब है की हम कभी भी सफर में जाए तो हमारा सफर अच्छा रहें और हम मुस्किलो से बच सके इसलिए जब भी सफर में जाए तो अपनी हिफाजत के लिए ये दुआ पढ़ी जारी
Safar Ki Dua Padne Ke Fayde। सफर की दुआ पढ़ने के फायदे।
सफर की दुआ की सबसे पहली फजीलत यह है की मुसाफिर की दुआ कुबूल होती है
Sabse Aham Safar Ki Dua। सबसे अहम सफ़र की दुआ
अब्दुल्लाह इब्न सर्जिस (RA) से रिवायत है के जब अल्लाह के रसूल ﷺ सफर पर जाते, तो वो यह दुआ पढ़ते:
اللهُمَّ أنْتَ الصَّاحِبُ فِيْ السَّفَرِ، وَالْخَلِيْفَةُ فَيْ الْأَهْلِ. اللهُمَّ إِنِّيْ أَعُوْذُ بِكَ مِنْ وَعْثَاءِ السَّفَرِ وَكَآبَةِ الْمُنْقَلِبِ، وَ مِنْ الْحَوْرِ بَعْدَ الْكَوْنِ، وَ مِنْ دَعْوَةَ الْمَظْلومَ، وَ مِنْ سُوْءِ الْمَنْظَرِ فِيْ الْأَهْلِا وَ الْمَالِ.
हिंदी: अल्लाहुम्मा अंता अस-साहिबु फी-स्सफर, वल-खलीफतु फिल-अहल। अल्लाहुम्मा इंनी अऊधु बिका मिन वअथा’इस-सफर व कआबातिल-मुनकलिब, व मिन अल-हौरि बा’दल-कौन, व मिन दअवतिल-मज़लूम, व मिन सू’इल-मनज़रि फिल-अहलि वल-माल।
तर्जुमा:या अल्लाह, आप सफर में हमारे साथी हैं और घर वालों के लिए निगेहबान हैं। या अल्लाह, मैं आपकी पनाह चाहता हूँ सफर की मुश्किलात से, वापस आने के बाद के ग़म से, ईमान के बाद कुफ्र से, मजबूरी में आपको पुकारने से, और मेरे माल या घर वालों पर कोई बुरा हाल आने से। [जामी अत-तिरमिज़ी, सुन्नन इब्न माजा, सुन्नन अन-नसाई]
Ghar Se Nikalte Waqt Ki Dua। घर से निकलते वक्त की दुआ।
घर से निकलने से पहले दो रकात नमाज अदा करना
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया के सफर शुरू करने से पहले दो रकात सुन्नत नमाज पढ़ो। इस बारे में कुछ हदीस हैं:
जब तुम Islamic Knowledge अपने घर से निकलते हो तो दो रकात नमाज पढ़ो, यह तुम्हें बुराई से बचाएगी। जब तुम अपने घर में दाखिल होते हो तो दो रकात नमाज पढ़ो, यह तुम्हें बुराई से बचाएगी।” [मुसनद अल-बज़्ज़ार]
आप यह नमाज किसी भी सुरह को सुरह फातिहा के साथ मिला के पढ़ सकते हैं। लेकिन, इमाम नवावी ने अपनी किताब अल-मजमू’ में लिखा है के पहली रकात में सुरह अल-काफिरून और दूसरी रकात में सुरह अल-इखलास सुरह फातिहा के साथ पढ़ो।
بِسْمِ اللَّهِ تَوَكَّلْتُ عَلَى اللَّهِ، لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ
हिन्दी: बिस्मिल्लाही तवाकलतु अलल्लाही ला हौला वला Islamic Knowledge कूवता इल्ला बिल्लाह
तर्जुमा: click here अल्लाह के नाम के साथ ,मैं अल्लाह पर ही भरोसा करता हु , अल्लाह के मदद के बगैर (किसी में) नेकी करने की और गुनाहों से बचने की ताकत नहीं।
Safar Mein Niyat Kyun Karna Chahiye। सफर मैं नियत क्यों करना चाहिए।
कोई भी सफर बअ मकसद करना चाहिए हमे नियत करना चाहिए की हम ये सफर क्यों कर रहे है क्या ये अल्लाह ताला को नाराज तो नही करेगा।
हदीस है की अगर आप सफर कर रहे हो जिससे अल्लाह ताला राजी है तो आपके घर से निकलने से घर तक आने तक एक फरिश्ता झंडा लिया अपकेबाथ रहता है और आप उसके छाए में और अगर आप कोई ऐसा सफर कर रहे है जिससे अल्लाह ताला नाराज होता हैं तो आपके घर से निकलने से लेकर आपके घर पहुंचने तक आपके साथ शैतान झंडा लेकर चलेगा और आप उसकी छाया में रहें।
Sawari Par Baithne Ke Baad Ki Dua। सवारी पर बैठने के बाद की दुआ।
سُبْحَنَ الَّذِى سَخَّرَ لَنَا هَذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ ، وَإِنَّا إِلَى رَبَّنَا
हिंदी: सुभानलजी सक्खरा लना हाजा वमा कुन्ना लहू मुकरेनीन व इन्ना इला रब्बिना लामून कलीबून।
तर्जुमा – पाक है वो जात जिस ने इस सवारी को हमारे लिए मुसाखखर किया वरना हम उसे काबू में लाने वाले न थे और बेशक हम अपने रब ही की तरफ लौटने वाले है।
Daurane Safar Ki Dua 1। दौराने पहली सफर की दुआ।
सफर की बहुत सी दुआएं हैं, इन में से दो हमने नीचे बताई हैं। दौराने सफर की दुआ अरबी में है और उसका हिंदी तर्जुमा नीचे दिया गया है। इस दुआ को ध्यान से पढ़ना अफजल है क्योंकि सफर की दुआ पढ़ना सुन्नत है और इससे हम अपनी ईमान को मजबूत कर सकते हैं। अल्लाह सभको हमेशा हिफ़ाज़त में रखे।
اللَّهُمَّ اَنْتَ الصَّاحِبُ فِي السَّفَرِ وَالْخَلِيفَةُ فِي الْأَهْلِ اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُبِ مِنَ الطَّيْئةِ فيالسَّفَرِ وَ الْكَابَةِ في المُنقَلب اللهم اقبضُ لَنَا الْاَرْضَ وَهَوْنَ عَلَيْنَا السَّفَرَ
हिंदी: अल्लाहुम्मा अंता अस-साहिबू फी अस-सफर, वल-खलीफतु फी अल-अहली। अल्लाहुम्मा इन्नी आ’उधु बि मिन अत-ता’इयाति फी अस-सफर, वल-कबाति फी अल-मुनकलब। अल्लाहुम्मा इकबिध लाना अल-अर्धा वा हव्न अलयना अस-सफर।
तर्जुमा – ए अल्लाह तू ही इस सफर में हमारा रफीक और घर वालो का निगहबान है ए अल्लाह मैं सफर की तंगी और वापसी की परेशानी से तेरी पनाह में आता हू, ए अल्लाह ! मिट्टी को हमारे लिए लपेट दे और हमारे लिए इस सफर को आसान फरमा दे।